टैली क्या है?
आज के समय में कंप्यूटर शिक्षा केवल एक स्किल नहीं बल्कि हर क्षेत्र में काम आने वाली ज़रूरत बन चुकी है। अगर हम अकाउंटिंग और फाइनेंस की बात करें तो वहाँ सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाला सॉफ्टवेयर है टैली (Tally)। यह इतना लोकप्रिय है कि छोटे व्यापारी से लेकर बड़ी कंपनियाँ भी अपने अकाउंट्स, लेन-देन और टैक्स की गणना के लिए टैली का ही उपयोग करती हैं। आइए जानते हैं टैली के बारे में विस्तार से।
टैली क्या है?
टैली का पूरा नाम है Transactions Allowed in a Linear Line Yard। यह एक अकाउंटिंग सॉफ्टवेयर है जिसका उपयोग हिसाब-किताब, बुक कीपिंग, GST, टैक्सेशन, इन्वेंट्री मैनेजमेंट, पेरोल मैनेजमेंट और वित्तीय रिपोर्टिंग के लिए किया जाता है।
साधारण भाषा में कहें तो यह एक डिजिटल बहीखाता है जहाँ आप अपने सारे लेन-देन (खरीद, बिक्री, खर्च, आय आदि) सुरक्षित और व्यवस्थित रख सकते हैं।
टैली का इतिहास
टैली को 1986 में बैंगलोर स्थित कंपनी Tally Solutions Pvt. Ltd. ने लॉन्च किया था। शुरुआत में यह केवल बेसिक अकाउंटिंग के लिए बनाया गया था, लेकिन आज इसमें GST, Payroll, Inventory और Data Analysis जैसे आधुनिक फीचर्स शामिल हैं।
आज टैली का सबसे लोकप्रिय संस्करण है Tally Prime, जिसे छोटे और बड़े सभी प्रकार के व्यवसाय आसानी से इस्तेमाल कर सकते हैं।
टैली क्यों ज़रूरी है?
-
आसान अकाउंटिंग सिस्टम – बिना लंबी-चौड़ी बहीखातों के, कंप्यूटर पर आसानी से लेखा-जोखा रखना।
-
समय की बचत – सेकंडों में रिपोर्ट तैयार करना, जो पहले घंटों में होती थी।
-
सटीकता (Accuracy) – कैलकुलेशन और एंट्री में गलती की संभावना बहुत कम।
-
GST और टैक्सेशन – जीएसटी रिटर्न भरने और टैक्स कैलकुलेशन को आसान बनाना।
-
इन्वेंट्री मैनेजमेंट – स्टॉक, प्रोडक्ट्स और वेयरहाउस का सही रिकॉर्ड रखना।
-
छोटे से बड़े व्यवसाय के लिए उपयुक्त – किराना स्टोर से लेकर मल्टीनेशनल कंपनी तक सभी इसका उपयोग कर सकते हैं।
टैली के प्रमुख फीचर्स
-
अकाउंटिंग मैनेजमेंट: जर्नल एंट्री, लेजर, बैलेंस शीट, प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट।
-
इन्वेंट्री मैनेजमेंट: स्टॉक ट्रैकिंग, प्रोडक्ट कैटेगरी, बैच और गॉडाउन मैनेजमेंट।
-
GST और टैक्सेशन: GST एंट्री, TDS, TCS, VAT जैसी सभी टैक्स संबंधित प्रक्रियाएँ।
-
बैंकिंग फीचर्स: बैंक रीकंसिलिएशन, ई-पेमेंट, चेक प्रिंटिंग।
-
पेरोल मैनेजमेंट: कर्मचारी का वेतन, उपस्थिति और बोनस का रिकॉर्ड।
-
डेटा सिक्योरिटी: पासवर्ड और यूज़र कंट्रोल की सुविधा।
-
रिपोर्ट जनरेशन: बैलेंस शीट, ट्रायल बैलेंस, सेल्स रिपोर्ट, पर्चेज रिपोर्ट इत्यादि।
टैली कैसे काम करता है?
टैली में काम करने के लिए सबसे पहले कंपनी (Company) बनाई जाती है, जिसमें व्यवसाय का नाम, पता और अन्य जानकारी डाली जाती है। इसके बाद अलग-अलग लेजर और ग्रुप बनाकर लेन-देन एंट्री की जाती है।
उदाहरण के लिए:
-
खरीद (Purchase Entry)
-
बिक्री (Sales Entry)
-
खर्च (Expense Entry)
-
आय (Income Entry)
सभी एंट्री करने के बाद टैली स्वतः ही बैलेंस शीट और प्रॉफिट एंड लॉस अकाउंट तैयार कर देता है।
टैली सीखने से क्या लाभ है?
-
सरकारी और प्राइवेट जॉब में फायदा: अकाउंटेंट, डेटा एंट्री ऑपरेटर और ऑफिस असिस्टेंट की नौकरियों में टैली की मांग हमेशा रहती है।
-
बिज़नेस के लिए उपयोगी: खुद का व्यापार करने वालों को अपने अकाउंट्स रखने में आसानी होती है।
-
फ्रीलांस काम: घर से अकाउंटिंग और टैक्स का काम करके अच्छी कमाई की जा सकती है।
-
लंबे समय तक उपयोगी: अकाउंटिंग हमेशा हर व्यवसाय का हिस्सा रहेगा, इसलिए यह स्किल कभी पुराना नहीं होगा।
टैली कोर्स की अवधि और फीस
-
अवधि (Duration): 3 महीने से 6 महीने (कभी-कभी 1 साल का डिप्लोमा कोर्स भी मिलता है)
-
फीस (Fees): 3000 रुपये से 15000 रुपये तक (संस्थान और कोर्स लेवल के आधार पर)
टैली कोर्स में क्या पढ़ाया जाता है?
-
Introduction to Tally & Company Creation
-
Ledger & Group Creation
-
Accounting Vouchers
-
Inventory Management
-
GST, TDS, TCS, VAT
-
Banking in Tally
-
Payroll Management
-
Generating Reports & Data Security
टैली के बाद करियर विकल्प
टैली सीखने के बाद आप निम्न पदों पर काम कर सकते हैं:
-
अकाउंटेंट (Accountant)
-
डेटा एंट्री ऑपरेटर (Data Entry Operator)
-
अकाउंट असिस्टेंट (Account Assistant)
-
ऑफिस क्लर्क (Office Clerk)
-
GST ऑपरेटर (GST Operator)
-
फ्रीलांसर अकाउंटिंग सर्विस प्रोवाइडर
निष्कर्ष
टैली एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जिसने अकाउंटिंग की दुनिया को आसान और डिजिटल बना दिया है। यह न केवल समय और मेहनत बचाता है बल्कि सटीकता भी प्रदान करता है। अगर आप जॉब पाना चाहते हैं, सरकारी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं, या खुद का बिज़नेस चला रहे हैं, तो टैली सीखना आपके करियर के लिए एक बेहतरीन निवेश साबित होगा।